महाराष्ट्र के स्कूलों में हिंदी अब तीसरी अनिवार्य भाषा, सरकार का बड़ा फैसला NEP के तहत
तीन भाषा फार्मूला: हिंदी अनिवार्य
महाराष्ट्र सरकार ने तय किया है कि अब राज्य के अंग्रेजी और मराठी माध्यम के स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के लिए हिंदी तीसरी भाषा के रूप में जरूरी होगी।
यह बदलाव नई शिक्षा नीति (NEP) के अनुसार किया गया है।
किस-किस स्कूल पर लागू होगा?
यह नियम खासतौर पर मराठी और अंग्रेजी मीडियम के स्कूलों पर लागू होगा।
बाकी स्कूल जैसे कि उर्दू, गुजराती, या अन्य भाषाओं के स्कूल, पहले से ही तीन भाषाएं पढ़ा रहे हैं — इसलिए वहां पहले से ही मराठी और हिंदी सिखाई जा रही है।
किस क्लास से लागू होगा ये नियम?
सरकार की तरफ से साफ किया गया है कि यह फैसला प्राथमिक कक्षा (Class 1) से ऊपर के स्टूडेंट्स पर लागू किया जाएगा।
स्कूलों को इसे धीरे-धीरे लागू करने की छूट होगी ताकि छात्रों और टीचर्स को दिक्कत न हो।
नई शिक्षा नीति (NEP) की संरचना
सरकार ने एजुकेशन सिस्टम को 5+3+3+4 के फॉर्मेट में बांटा है:
फाउंडेशनल स्टेज (5 साल):
प्री-प्राइमरी (3 साल) + कक्षा 1 और 2
प्रारंभिक स्टेज (3 साल):
कक्षा 3 से 5
मिडिल स्टेज (3 साल):
कक्षा 6 से 8
सेकेंडरी स्टेज (4 साल):
कक्षा 9 से 12
सरकार की मंशा क्या है?
बच्चों में भाषाई कौशल को बेहतर बनाना।
राष्ट्रीय एकता और संवाद को बढ़ावा देना।
नई पीढ़ी को तीनों प्रमुख भाषाओं (मराठी, हिंदी, अंग्रेज़ी) में दक्ष बनाना।
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