ग्लोबल टैरिफ टेंशन के माहौल में भारत के लिए यह आर्थिक मोर्चे पर एक अहम झटका है। मूडीज एनालिटिक्स ने भारत की 2025 की जीडीपी ग्रोथ दर को 6.4% से घटाकर 6.1% कर दिया है। यह संशोधन अमेरिका द्वारा संभावित टैरिफ लागू करने से पहले किया गया है।
अमेरिका भारत का एक प्रमुख व्यापारिक साझेदार है। ऐसे में भारतीय निर्यात उत्पादों पर 26% तक के टैरिफ से व्यापार संतुलन गड़बड़ा सकता है।
जेम्स एंड ज्वैलरी, मेडिकल उपकरण, और कपड़ा उद्योग इस टैरिफ से सबसे अधिक प्रभावित होंगे।
हालांकि यह झटका महत्त्वपूर्ण है, लेकिन बाहरी मांग भारत की GDP का अपेक्षाकृत छोटा हिस्सा होने के कारण समग्र वृद्धि पर इसका सीमित असर रहने की संभावना है।
भारत में मुद्रास्फीति में तेज गिरावट देखी जा रही है, जिससे अनुमान लगाया जा रहा है कि RBI रेपो रेट में 0.25% की कटौती करेगा।
अगर ऐसा हुआ, तो साल के अंत तक नीतिगत दर 5.75% तक पहुँच सकती है।
हाल ही में घोषित टैक्स प्रोत्साहन योजनाएं घरेलू मांग को मज़बूती देंगी, जिससे भारत वैश्विक टैरिफ से प्रभावित अन्य कमजोर अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में बेहतर प्रदर्शन कर सकता है।
RBI ने अपनी मौद्रिक नीति में बदलाव करते हुए 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती की है, जिससे वर्तमान में रेपो रेट 6% है। इसके साथ ही वित्त वर्ष 2026 के लिए महंगाई अनुमान को घटाकर 4% कर दिया गया है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 9 अप्रैल से लागू होने वाले टैरिफ पर 90 दिनों की छूट दी है, जो 75 देशों पर लागू होती।
हालांकि, चीन को कोई राहत नहीं दी गई है और उसके लिए टैरिफ दर 125% तक बढ़ा दी गई है। इसके अलावा, 5 अप्रैल से 10% टैरिफ पहले की तरह लागू रहेगा।