न्यूरोमॉर्फिक कंप्यूटिंग में बड़ी प्रगति: वैज्ञानिकों ने विकसित की ब्रेन-लाइक चिप्स
नई दिल्ली। न्यूरोमॉर्फिक कंप्यूटिंग के क्षेत्र में बड़ा कदम उठाते हुए वैज्ञानिकों ने ऐसे प्रोसेसर विकसित किए हैं, जो इंसानी मस्तिष्क की तरह डेटा प्रोसेस कर सकते हैं। इस नई तकनीक का उपयोग आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और मशीन लर्निंग (ML) को और अधिक शक्तिशाली बनाने में किया जाएगा।
मस्तिष्क जैसी कार्यप्रणाली वाला कंप्यूटर सिस्टम
न्यूरोमॉर्फिक कंप्यूटिंग का उद्देश्य कंप्यूटर को मानव मस्तिष्क की संरचना और कार्यप्रणाली के समान बनाना है। पारंपरिक कंप्यूटर जहां सीरियल प्रोसेसिंग पर काम करते हैं, वहीं न्यूरोमॉर्फिक सिस्टम समानांतर प्रोसेसिंग में सक्षम होते हैं। इससे डेटा प्रोसेसिंग की गति तेज होती है और ऊर्जा की खपत भी कम होती है।
प्रमुख टेक कंपनियों की दिलचस्पी
IBM, Intel और SynSense जैसी कंपनियां न्यूरोमॉर्फिक चिप्स विकसित कर रही हैं। Intel की Loihi 2 और IBM की TrueNorth नामक न्यूरोमॉर्फिक चिप्स पहले ही पेश की जा चुकी हैं, जो कम ऊर्जा में जटिल गणनाएं करने में सक्षम हैं।
आने वाले वर्षों में बढ़ेगा उपयोग
विशेषज्ञों का मानना है कि इस तकनीक का उपयोग स्वायत्त वाहनों, रोबोटिक्स, साइबर सिक्योरिटी और हेल्थकेयर में बड़े पैमाने पर होगा। वैज्ञानिकों का दावा है कि आने वाले समय में न्यूरोमॉर्फिक कंप्यूटिंग आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में एक बड़ा बदलाव ला सकती है।
न्यूरोमॉर्फिक कंप्यूटिंग कंप्यूटर की दुनिया में क्रांतिकारी बदलाव लाने के लिए तैयार है। यह तकनीक अधिक ऊर्जा-कुशल, तेज और बुद्धिमान सिस्टम बनाने में मदद कर सकती है, जिससे भविष्य में मशीन लर्निंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में नए आयाम जुड़ सकते हैं।