अमेरिका और चीन के बीच आर्थिक टकराव कोई नया मुद्दा नहीं है। 2018 से शुरू हुए इस व्यापार युद्ध में दोनों देशों ने एक-दूसरे के उत्पादों पर समय-समय पर भारी टैरिफ लगाए हैं। अब यह विवाद एक नई ऊंचाई पर पहुंच चुका है, जब अमेरिका ने चीन से आयात होने वाले उत्पादों पर टैरिफ को 125% तक बढ़ा दिया है।
इस टैरिफ बढ़ोतरी का मुख्य मकसद है घरेलू कंपनियों को निर्माण के लिए प्रेरित करना और चीनी सामान पर निर्भरता को कम करना। हालांकि, इस कदम से अमेरिकी कंज्यूमर भी प्रभावित होंगे, क्योंकि अब उन्हें चीन से आने वाला सस्ता सामान महंगे दामों पर खरीदना पड़ेगा। इससे अमेरिकी बाजार में महंगाई बढ़ने की आशंका है।
चीन, अमेरिका के सबसे बड़े निर्यातक देशों में शामिल है। अमेरिका जो प्रमुख वस्तुएं चीन से आयात करता है, उनमें शामिल हैं:
टैरिफ बढ़ने से इन वस्तुओं की कीमतों में अमेरिका में इजाफा होगा, जिससे वहां की मिडल क्लास सबसे ज्यादा प्रभावित हो सकती है।
चीन केवल अमेरिका को सामान नहीं बेचता, बल्कि वहां से खरीदारी भी करता है। चीन अमेरिका से जो प्रमुख वस्तुएं आयात करता है, उनमें शामिल हैं:
अगर चीन भी जवाबी टैरिफ लगाता है, तो इससे अमेरिकी कृषि और टेक कंपनियों को बड़ा नुकसान झेलना पड़ सकता है।
2024 में अमेरिका और चीन के बीच व्यापार घाटा 295.4 बिलियन डॉलर रहा, जो 2023 की तुलना में 5.8% अधिक है।
इससे साफ है कि विवाद से दोनों देशों को झटका लग रहा है। अगर दोनों देश पीछे नहीं हटे, तो व्यापार घाटा और ज्यादा बढ़ सकता है और वैश्विक आर्थिक अस्थिरता की संभावना भी बढ़ जाएगी।